RBI updates e-Mandate framework | RBI ने ई-मैंडेट फ्रेमवर्क को अपडेट किया: फास्टैग और ई-वॉलेट से पेमेंट आसान हुआ, पैसे कम होने पर अकाउंट से ऑटोमैटिक डेबिट होगा अमाउंट

RBI updates e-Mandate framework | RBI ने ई-मैंडेट फ्रेमवर्क को अपडेट किया: फास्टैग और ई-वॉलेट से पेमेंट आसान हुआ, पैसे कम होने पर अकाउंट से ऑटोमैटिक डेबिट होगा अमाउंट
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नई दिल्ली3 दिन पहले

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RBI updates e-Mandate framework | RBI ने ई-मैंडेट फ्रेमवर्क को अपडेट किया: फास्टैग और ई-वॉलेट से पेमेंट आसान हुआ, पैसे कम होने पर अकाउंट से ऑटोमैटिक डेबिट होगा अमाउंट

भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को (22 अगस्त) को फास्टैग और नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (NCMC) को ई-मेंडेट फ्रेमवर्क में शामिल कर लिया है। इसके तहत इन दोनों पेमेंट इंट्रूमेंट्स में अमाउंट तय लिमिट से कम होते ही कस्टमर के खाते से पैसे निकलकर इसमें जुड़ जाएंगे। इसके लिए यूजर को बार-बार पैसा खुद नहीं डालना होगा।

RBI ने एक प्रेस रिलीज में बताया कि फास्टैग और NCMC के तहत पेमेंट की कोई तय समय सीमा नहीं होती। कभी भी पेमेंट करने की जरूरत पड़ सकती है, ऐसे में बिना किसी निश्चित तय समय सीमा के पैसे खाते से क्रेडिट हो जाएंगे।

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प्री-डेबिट का नोटिफिकेशन देना जरूरी नहीं होगा
इसके लिए यूजर को प्री-डेबिट का नोटिफिकेशन देना जरूरी नहीं होगा। इसके तहत ई-मेंडेट फ्रेमवर्क के बाकी सभी नियम और दिशा निर्देश समान रहेंगे। पहले यूजर को अपने खाते से पैसे डेबिट करने के लिए कम से कम 24 घंटे पहले प्री-डेबिट की नोटिफिकेशन भेजना पड़ता था। RBI ने 7 जून 2024 को मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक में ई-मेंडेट फ्रेमवर्क के तहत फास्टैग और NCMC के लिए रिकरिंग पेमेंट्स को भी शामिल करने की घोषणा की थी।

24 घंटे पहले भेजना पड़ता था नोटिफिकेशन
RBI ने कहा कि देश में फास्टैग और NCMC जैसे पेंमेंट इंट्रूमेंट्स का चलन लगातार बढ़ रहा है। पहले फास्टैग और NCMC वॉलेट में पैसे कम हो जाते थे तो पेमेंट करने में परेशानी होती थी। यूजर को अपने खाते से ऑनलाइन पैसे भरने पड़ते थे, लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं होगी। यूजर इस तरह के पेमेंट इंट्रूमेंट्स के लिए रकम पहले से ही तय कर सकेंगे।

क्या होता है फास्टैग?
फास्टैग एक प्रकार का टैग या स्टिकर होता है। यह वाहन की विंडस्क्रीन पर लगा हुआ होता है। फास्टैग रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन या RFID तकनीक पर काम करता है। इस तकनीक के जरिए टोल प्लाजा पर लगे कैमरे स्टिकर के बार-कोड को स्कैन कर लेते हैं और टोल फीस अपनेआप फास्टैग के वॉलेट से कट जाती है।

फास्टैग के इस्तेमाल से वाहन चालक को टोल टैक्स के भुगतान के लिए रूकना नहीं पड़ता है। टोल प्लाजा पर लगने वाले समय में कमी और यात्रा को सुगम बनाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।

ये आंकड़े मई 2023 तक के हैं।

ये आंकड़े मई 2023 तक के हैं।

बैंक और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से खरीद सकते हैं फास्टैग
देश के किसी भी टोल प्लाजा से आप फास्टैग खरीद सकते हैं। इसके अलावा एक्सिस बैंक, ICICI बैंक, HDFC बैंक, SBI, कोटक बैंक की ब्रांच से भी आप इसे खरीद सकते हैं। पेटीएम, अमेजन, गूगल पे जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से भी आप इसे खरीद सकते हैं। फास्टैग अकाउंट को इस ऐप से लिंक करके पेमेंट भी कर सकते हैं।

आप चाहें तो अपने बैंक अकाउंट को इस ऐप से लिंक कर सकते हैं। इससे जब भी आप किसी टोल प्लाजा से गुजरेंगे तो टोल टैक्स आपके अकाउंट से कट जाएगा। फास्टैग खरीदते समय आपके पास ID प्रूफ और गाड़ी का रजिस्ट्रेशन डॉक्यूमेंट होना जरूरी है।

फास्टैग स्टिकर 5 साल के लिए वैलिड होता है
एक बार खरीदा गया फास्टैग स्टिकर 5 साल के लिए वैलिड होता है। यानी 5 साल बाद आपको स्टीकर बदलवाना या इसकी वैलिडिटी बढ़वानी पड़ती है।

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