FSSAI Milk Packaging Labels Advisory Withdraws | A1 A2 Labels | मिल्क प्रोडक्ट्स की सेल A1-A2 लेबलिंग से जारी रहेगी: FSSAI ने इन्हें हटाने का आदेश वापस लिया, प्रोटिन की मात्रा से जुड़ा है A1-A2 लेबलिंग

FSSAI Milk Packaging Labels Advisory Withdraws | A1 A2 Labels | मिल्क प्रोडक्ट्स की सेल A1-A2 लेबलिंग से जारी रहेगी: FSSAI ने इन्हें हटाने का आदेश वापस लिया, प्रोटिन की मात्रा से जुड़ा है A1-A2 लेबलिंग
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नई दिल्ली7 मिनट पहले

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FSSAI Milk Packaging Labels Advisory Withdraws | A1 A2 Labels | मिल्क प्रोडक्ट्स की सेल A1-A2 लेबलिंग से जारी रहेगी: FSSAI ने इन्हें हटाने का आदेश वापस लिया, प्रोटिन की मात्रा से जुड़ा है A1-A2 लेबलिंग

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने अपने उस निर्देश को वापस ले लिया है जिसमें फूड बिजनेस करने वालों को दूध के पैकेजिंग से ‘A1’ और ‘A2’ लेबल हटाने को कहा गया था।

इस आदेश के बाद अब ई-कॉमर्स कंपनियां और फूड बिजनेसेस मिल्क और उससे बने प्रोडक्ट्स को A1 और A2 लेबलिंग वाले पैकेजिंग के साथ बेचना जारी रख सकते हैं।

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फूड रेगुलेटर ने पिछले हफ्ते दूध के पैकेजिंग पर A1 और A2 लेबलिंग को भ्रामक बताकर उनके इस्तेमाल पर रोक लगाने को कहा था।

FSSAI ने अपने आदेश में कहा थी कि ये दावे फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 के अनुरूप नहीं हैं। इसलिए रेगुलेटर इस कैटेगरी और अंतर को मान्यता नहीं देते है।

सोमवार को जारी एक नए एडवाइजरी में रेगुलेटर ने कहा, ’21 अगस्त, 2024 की एडवाइजरी स्टेकहोल्डर्स के साथ आगे के कंसल्टेशन के लिए वापस ली जाती है।’

दूध में मौजूद प्रोटीन के स्ट्रक्चर जुड़ा है A1 और A2
मिल्क और उससे बने प्रोडक्ट्स पर A1 और A2 टाइप लेबल का मतलब दूध में मौजूद ‘बीटा-केसीन प्रोटीन’ के केमिकल स्ट्रक्चर से जुड़ा है। यह दूध देने वाले पशु के ब्रीड और ओरिजिन के हिसाब से बदलता है।

बीटा केसीन सबसे ज्यादा मात्रा में पाया जानेवाला दूसरा प्रोटीन है। इसमें अमीनो एसिड का बेहतर न्यूट्रिशनल बैंलेंस होता है। रेगुलेटर ने इस लेबलिंग के 6 महीने के भीतर हटाने को कहा है।

क्रॉस ब्रीड से पैदा हुईं गायों का दूध A1 टाइप होता है
आमतौर पर A2 मिल्क मूल रूप से भारतीय (देशी) नस्ल की गायों से आता। ये प्रोटिन में रिच होते हैं। इनमें लाल सिन्धी, साहिवाल, गिर, देवनी और थारपारकर जैसी कैटेगरी शामिल हैं।

जबकि, A1 मिल्क यूरोपियन कैटल ब्रीड से आता है। ये गायें क्रॉस ब्रीडिंग के जरिए पैदा होती हैं। इनमें जर्सी, आयरशायर, और ब्रीटिश शॉर्ट हॉर्न जैसे कैटेगरी हैं।

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12% मसाले सुरक्षा मानकों के मुताबिक नहीं: विदेशों में MDH और एवरेस्ट की क्वालिटी पर सवाल के बाद जांच, कंपनियों का दावा- मसाले सेफ हैं

देश में बिक रहे 12% मसाले क्वालिटी और सेफ्टी स्टैंडर्ड के मुताबिक ठीक नहीं हैं। फूड्स सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने देश में बिक रहे मसालों की टोटल 4054 सैंपल्स की जांच की। इनमें से 474 मसाले FSSAI के मुताबिक खाने योग्य नहीं थे।

मई से जुलाई के बीच FSSAI ने मसालों की टेस्टिंग की गई। इस बात की जानकारी रॉयटर्स ने RTI के जरिए सरकार से मांगी थी। अप्रैल-मई 2024 में सरकार ने सिंगापुर और हॉन्ग-कॉन्ग में मसालों की क्वालिटी पर सवाल और बैन की खबरों के बाद FSSAI ने इनकी जांच का फैसला किया था।

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