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जैसलमेर का सरकारी अधिकारी निकला ‘पाकिस्तानी जासूस’ – ISI एजेंट से बातचीत के मिले पुख्ता सबूत, देश की सुरक्षा पर बड़ा खतरा!

जैसलमेर का सरकारी अधिकारी निकला ‘पाकिस्तानी जासूस’ – ISI एजेंट से बातचीत के मिले पुख्ता सबूत, देश की सुरक्षा पर बड़ा खतरा!
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Rajasthan Spy News | Pakistani Agent Shakoor Khan | ISI Spy in India | जैसलमेर जासूसी केस

परिचय: जब वर्दीधारी ही निकला गद्दार

देश की सुरक्षा व्यवस्था को उस समय बड़ा झटका लगा, जब राजस्थान के जैसलमेर जिले से एक सरकारी अधिकारी के पाकिस्तान के खुफिया एजेंसी ISI से संपर्क के प्रमाण सामने आए। यह खुलासा तब हुआ जब खुफिया एजेंसियों ने लंबे समय से संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने के बाद कार्रवाई की। आरोपी शकूर खान, जो एक समय कांग्रेस सरकार में मंत्री शाले मोहम्मद के निजी सचिव रह चुका है, अब पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में सलाखों के पीछे है।

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📍 कौन है शकूर खान? – एक नजर में प्रोफाइल

  • नाम: शकूर खान (Shakoor Khan)
  • पद: सहायक प्रशासनिक अधिकारी (AAO), रोजगार विभाग, जैसलमेर
  • राजनीतिक जुड़ाव: पूर्व कैबिनेट मंत्री शाले मोहम्मद के निजी सचिव
  • निवास: मंगलिया की ढाणी, बड़ोड़ा गांव, जैसलमेर
  • पाक कनेक्शन: 7 बार पाकिस्तान यात्रा, पाकिस्तानी दूतावास के संपर्क
  • आरोप: भारतीय सेना से जुड़ी जानकारी ISI तक पहुंचाना

🕵️‍♂️ गिरफ्तारी की पृष्ठभूमि

शकूर खान की गिरफ्तारी जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद देशभर में हाई अलर्ट के दौरान हुई। राजस्थान पुलिस की इंटेलिजेंस विंग को उसके मोबाइल में पाकिस्तान के अनजान नंबर और डिलीट की गई संदिग्ध फाइलों का पता चला। टेक्निकल सर्विलांस और डिजिटल फोरेंसिक के बाद उसके ISI एजेंट्स – अहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश और सोहेल कमर – से संबंध के प्रमाण मिले।

📞 फोन कॉल्स और डेटा एनालिसिस में क्या मिला?

  • पाकिस्तान के कई अज्ञात नंबरों से कॉल रिकॉर्ड
  • मोबाइल से डिलीट किए गए दस्तावेज, जो बाद में रिकवर किए गए
  • वॉट्सऐप चैट्स और मीडिया फाइल्स, जिनमें सामरिक जानकारी शामिल
  • ISI एजेंट्स से वीडियो कॉल और ऑडियो क्लिप्स की पुष्टि

🌍 पाकिस्तान के साथ संबंध – रिश्तेदारी या राज़?

शकूर खान ने 2009 से 2023 तक पाकिस्तान की 7 बार यात्रा की। इसके लिए उसने पाक दूतावास में काम करने वाले एजेंट दानिश की मदद ली। बताया जाता है कि उसकी रिश्तेदारी सिंध प्रांत के रहिमियार खान, सक्खर और घोटकी जैसे सीमावर्ती इलाकों में फैली हुई है।

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🏛️ राजनीतिक कनेक्शन से मिली सुरक्षा?

शकूर खान 2009-13 और फिर 2019-23 तक कांग्रेस नेता शाले मोहम्मद के साथ निजी सहायक के तौर पर कार्यरत रहा। सूत्रों की मानें तो उसे राजनीतिक संरक्षण का लाभ मिलता रहा, जिससे उस पर शक की सुई देर से घूमी।

🔒 जासूसी के कानूनी प्रावधान और केस दर्ज

शकूर खान के खिलाफ आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 (Official Secrets Act) के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह अधिनियम राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी गोपनीय जानकारी को लीक करने वालों के खिलाफ कठोर दंड का प्रावधान करता है।

🧠 ISI की रणनीति – सरकारी कर्मचारियों को टारगेट

यह केस इस बात का साफ संकेत है कि ISI भारत में सरकारी नौकरियों में कार्यरत लोगों को लालच, ब्लैकमेल या वैचारिक सहानुभूति के आधार पर टारगेट कर रही है। शकूर जैसे अधिकारी सामरिक जानकारी, सेना की गतिविधियां, दस्तावेज और लोकेशन डेटा पाकिस्तान तक पहुंचाने का माध्यम बन जाते हैं।

🛡️ सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता से बची बड़ी साजिश

शकूर की गिरफ्तारी से संभवतः एक बड़ा जासूसी नेटवर्क समय रहते पकड़ में आ गया है। खुफिया एजेंसियों का दावा है कि पूछताछ के दौरान और भी नाम सामने आ सकते हैं। उसके बैंक खातों, ट्रांजेक्शन, सोशल मीडिया कनेक्शन और इंटरनेशनल कॉलिंग डेटा की भी जांच की जा रही है।

📣 जनता में रोष और देशभक्ति की लहर

सोशल मीडिया पर इस खबर के सामने आते ही लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। #ShakoorKhanSpy ट्रेंड करने लगा और लोग फांसी की सजा की मांग कर रहे हैं। वहीं, कई लोग पूछ रहे हैं कि आखिर एक सरकारी अधिकारी तक ISI इतनी आसानी से कैसे पहुंच पाई?

✅ निष्कर्ष: चौकसी ही देशभक्ति है

इस घटना ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि सुरक्षा केवल सीमाओं पर ही नहीं, बल्कि हर सरकारी दफ्तर, सिस्टम और कर्मचारी की निष्ठा से जुड़ी होती है। एक छोटी सी चूक, एक लालच, एक समझौता — और देश की अस्मिता खतरे में पड़ सकती है।

डिस्क्लेमर:

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है। इसमें शामिल जानकारी आधिकारिक सूत्रों, पुलिस रिपोर्ट और समाचार एजेंसियों के हवाले से प्रस्तुत की गई है। हम इसकी सत्यता की व्यक्तिगत रूप से पुष्टि नहीं करते। कृपया इसे केवल सूचना के रूप में ही लें।

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