तेजी मंदी रिपोर्ट 2023: जाने तेजी-मंदी की स्टिक जानकारी देखे रिपोर्ट

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तेजी मंदी रिपोर्ट 2023: अनाजो के भाव जीरा, सरसों, नरमा, ग्वार, ग्वार-गम, गेंहू, तेल,-तिलहन, मोठ, काबुली चना, राजमा, बाजरा, मक्का, मूंगफली, बिनौला खल, अरंडी आदि अनाजो की विभिन्न मंडियों की तेजी-मंदी की रिपोर्ट Teji-mandi riport स्टिक जानकारी ताकि किसान भाइयो को तेजी-मंदी की स्टिक जानकारी मिल सके. आजकल मंडियों में अनाज भावो में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है हम आपको तेजी-मंदी की विस्तार से जानकारी देते है भावो में बदलाव होते रहते है. हम आपको भावो का ताजा अपडेट हमारी वेबसाईट Mandinews पर डालते है.

मोटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध की संभावना से मंदा

अफ्रीकन देशों में गैर बासमती चावल की भारी कमी होने से भारतीय चावल का निर्यात पिछले डेढ़ महीने से लगातार बढ़ता जा रहा था। वहीं घरेलू उत्पादन पिछले सीजन में कम रहा, जिस कारण भारी तेजी आ गई है। इस पर काबू पाने के लिए पिछले दिनों सरकार की एक बैठक में निर्यात पर प्रतिबंध लगने की संभावना व्यक्त की गई।
देश में बीते सीजन में कम बरसात होने से यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल में गैर बासमती चावल का उत्पादन काफी कम रहा। दूसरी ओर सरकार द्वारा 31 दिसंबर तक चावल का मुफ्त वितरण जारी रखने की घोषणा कर दी गई थी, जो सुचारू रूप से वितरण किया जा रहा है। दूसरी ओर अफ्रीकन देशों के लिए लगातार गांधीधाम-कांडला बंदरगाह से गैर बासमती चावल का निर्यात हो रहा है, जिस कारण पिछले एक महीने के अंतराल मोटे चावल के भाव 500 से 700 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी आ गई है। जो परमल चावल 25 प्रतिशत ब्रोकन वाला 2350/2400 रुपए बिक रहा था, उसके भाव 2850/2900 रुपए प्रति क्विंटल ओपन में बिक गया।

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इसके अलावा गांधीधाम कांडला बंदरगाह पहुंच में 3150 / 3200 रुपए प्रति क्विंटल तक व्यापार हो गया। जो 2 दिन पहले सरकार द्वारा मोटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध भविष्य में लगाए जाने की आशंका से लिवाल पीछे हट गए तथा घरेलू मंडियों के कारोबारी भी लगातार बेचने लगे हैं, इसके प्रभाव से 75/100 रुपए प्रति क्विंटल की आज गिरावट दर्ज की गई। गांधीधाम कांडला पहुंच में भी 100/125 रुपए घटाकर व्यापार सुना गया। इस आशंका से अभी आगे भी कोई व्यापार नहीं निकल रहा है तथा आगे यदि सचमुच सरकार मोटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाती है, तो इसमें 200 रुपए प्रति क्विंटल की और गिरावट आ सकती है। हालांकि अभी इसको बाजार के कारोबारी अपुष्ट खबर मानते हैं। उनका कहना है कि कुछ निर्यातकों द्वारा पड़ते में चावल नहीं मिलने तथा मंडियां तेज हो जाने से इस तरह की हवा उड़ा दी गई है। आगे और तेजी-मंदा वास्तविकता पर निर्भर करेगी।

तेल-तिलहन कीमतों में मामूली सुधार

राजधानी दिल्ली के बाजार में मंगलवार को सरसों एवं मूंगफली तेल-तिलहन छोड़कर बाकी सभी तेल-तिलहनों के थोक दाम में गिरावट आई। गिरावट के कारण सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ), बिनौला और पामोलीन तेल कीमतें मामूली हानि के साथ बंद हुईं।

मलेशिया एक्सचेंज लगभग एक प्रतिशत नीचे बंद हुआ और शाम का कारोबार बंद है। जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में कोई खास घट-बढ़ नहीं है।

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जानकार सूत्रों ने कहा कि देश में किसान बाजार में कम दाम पर सरसों की बिकवाली करने से परहेज कर रहे हैं। दूसरी ओर मूंगफली की निर्यात मांग के कारण सरसों और मूंगफली तेल-तिलहन कीमतें पूर्वस्तर पर बनी रहीं। सस्ते आयातित सूरजमुखी तेल का जरूरत से कहीं ज्यादा आयात होने के कारण बाकी तेल-तिलहन कीमतों पर भारी दबाव है जिससे सोयाबीन तेल-तिलहन, सीपीओ, बिनौला और पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट देखने को मिली।
सस्ते सूरजमुखी तेल का पहले ही इतना अधिक आयात हो चुका है और जुलाई में भी इसका काफी आयात हो रहा है। ऐसे में इसे अब हरियाणा भी भेजा जा रहा है जहां इसकी खपत नहीं है। पहले हरियाणा और पंजाब का सूरजमुखी दक्षिणी भारत में खपता था अबकी बार उल्टा ही चलन है।

सूत्रों ने कहा कि खाद्य तेल से न हमें सिर्फ तेल मिलता है बल्कि मवेशीचारे के लिए तेलखल, मुर्गीदाने के लिए डीआयल्ड केक (डीओसी) मिलता है। कपास से निकलने वाले बिनौले से सबसे अधिक खल प्राप्त होते हैं। इसी खल की कमी से पिछले कुछ महीनों में दूध के दाम कई बार बढ़े हैं। अगर हम आयात पर निर्भर होते गये तो आने वाले दिनों में खल की और किल्ल्त हो सकती है और दूध एवं दुग्ध उत्पाद, चिकन, अंडे आदि के दाम और बढ़ सकते हैं।

एक तरफ तो सस्ते आयातित खाद्य तेलों का भारी आयात हो रहा है जबकि देशी सूरजमुखी पड़े-पड़े खराब हो रहा है। सरसों भी खराब होने की स्थिति में है। यही हाल बना रहा तो आगे किसान तिलहन खेती करने के बारे में कई बार सोचेंगे और हम आत्मनिर्भरता के बजाय आयात पर पूरी तरह से निर्भर हो जायेंगे। ऐसे में विदेशों में खाद्य तेलों के दाम बढने लगें तो हमारे पास उसे झेलने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा। मौजूदा स्थिति बनी रही तो अगले चार-पांच साल में तिलहन खेती पर इसका असर दिखना स्पष्ट हो जायेगा।

मोठ के भाव में तेजी मंदी

तेजी मंदी रिपोर्ट 2023: ग्राहकी निकलने तथा हाजिर में माल की के कारण मोठ के भाव 6700/6800 रुपए प्रति क्विंटल पर टिके रहे। राजस्थान की मंडियों में भी मोठ का स्टॉक कमजोर बताया गया। दूसरी ओर मूंग की कीमतों में आई तेजी से भी मजबूती को बल मिला। हाजिर में माल की कमी व ग्राहकी को देखते हुए आने वाले दिनों में मोठ की कीमतों में गिरावट की संभावना कम है बाजार मजबूत रह सकता है।

काबुली चना के भाव में तेजी मंदी

ऊंचे भाव पर ग्राहकी कमजोर होने से स्थानीय बाजार में काबली चना मीडियम माल के भाव 10700/10800 रुपए प्रति क्विटल पर सुस्त रहे। मैक्सिको के मालों के भाव 12400/12900 रुपए प्रति क्विंटल हो गये। महाराष्ट्र के माल भी 9500/9800 रुपए प्रति क्विंटल बोले गये। हाल ही में काबली चने की कीमतों में निचले स्तर से 1000 रुपए क्विंटल की तेजी आ गई है। आने वाले दिनों में और ज्यादा बढ़ने की संभावना कम है।

राजमा के भाव में तेजी मंदी

आयातकों की बिकवाली कमजोर होने तथा ग्राहकी निकलने से चीन के राजमा के भाव 9200/13300 रुपए प्रति क्विंटल पर मजबूत रहे। ब्राजील के मालों के भाव 12200/12500 रुपए प्रति क्विंटल बोले गये। हाजिर में माल की कमी के कारण पूणे लाइन के मालों के भाव 13700 रुपए प्रति क्विंटल बोले गये। आने वाले दिनों में इसमें मंदे की संभावना कम है बाजार सीमित दायरे में घूमता रह सकता है।

बाजरा आखिर मंदा क्यों?

पिछले दिनों आई तेजी के बाद बाजरे में स्टॉकिस्ट बाजरे में बेचू आ गए। यही वजह है कि यहां बाजरा 10 रुपए और मंदा होकर 1950 रुपए प्रति क्विंटल रह गया। एक दिन पूर्व इसमें 90 रुपए की गिरावट आई थी। हालांकि मक्की के भाव स्टाकिस्टों की लिवाली से धीरे-धीरे बढ़ने लगे हैं तथा जैसे-जैसे इसमें तेजी आएगी, बाजरे में तेजी आ जाएगी। बाजरे की फसल हाथरस लाइन में ज्यादा नहीं है, अत: आगे तेजी लग रही है। अभी पोल्ट्री उद्योग में शत प्रतिशत मक्की की खपत हो रही है, क्योंकि अंडे के उत्पादन में मक्की, बाजरे से ज्यादा लाभदायक है, क्योंकि इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। आने वाले एक-दो दिनों में हाजिर में बाजरा सुस्त ही बना रह सकता है।

मक्का भाव में तेजी मंदी की विस्तारित जानकारी

मक्का यूपी की चल रही है, जिससे बाजार काफी नीचे आ गए हैं। यूपी का माल हरियाणा पंजाब पहुंच में 2000/2025 रुपए प्रति क्विंटल पर बोला जा रहा है, जिससे बिहार की मक्की स्टॉक में ही जा रही है। इस वजह से बिहार की मक्की भी उत्पादक मंडियों में पिछले दिनों की अपेक्षा बाजार तेज चल रहे हैं। वहां की लोकल मंडियों में 1900/1920 रुपए प्रति कुंतल नमी के हिसाब से मक्की बिक रही है। रैक प्वाइंट पहुंच में 1920/1930 रुपए का व्यापार हो रहा है। इधर हरियाणा-पंजाब पहुंच में बिहार की मक्की 2030/2050 रुपए प्रति क्विंटल तक बोलने लगे हैं, लेकिन यूपी की मक्की सस्ती होने से बिहार के माल का व्यापार कम हो रहा है। आगामी एक-दो दिनों में मक्की में मंदी का डर नजर नहीं आ रहा है।

गेहूं के भाव में

सरकार द्वारा खुले बाजार में बिक्री में भाग लेने वाले ट्रेडर्स को बाहर कर दिया गया है, जिससे स्टॉकिस्ट बेचने से पीछे हट गए हैं। भारी वर्षा और कुछ क्षेत्रों में बाढ़ की वजह से एमपी, हरियाणा, पंजाब में माल की कमी से गेहूं की आवक काफी घट गई है। टेंडर का गेहूं मिलिंग के अनुरूप नहीं मिल पा रहा है। स्टॉकिस्ट हर भाव में पलवल, होडल के साथ-साथ मध्य प्रदेश के मुलताई, छिंदवाड़ा, लिंगा लाइन में खरीद करने लगे हैं।

हरियाणा पंजाब में भी चौतरफा रोलर फ्लोर मिलें वर्तमान माल खरीदने लगी है। जिससे लॉरेंस रोड पर गेहूं की आवक भी घट गई है। एक दिन पूर्व आई 70 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी आने के बाद स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली बिकवाली निकलने से कल 20 रुपए मंदा होकर 2470/2480 रुपए प्रति क्विंटल रह गया। एमपी की मंडियों में भी गेहूं की आवक समाप्त हो गई है। वे सरकार के बिक्री नीति सुगमता होने पर आगे व्यापार चलेगा। आने वाले एक-दो दिनों में हाजिर में गेहूं में स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली से आई मंदी पर ब्रेक लग सकता है

मूंगफली भाव में जाने तेजी मंदी

कच्छ और उत्तरी गुजरात में बुआई में आए उछाल के बाद भी चालू सीजन की अभी तक अवधि में गुजरात में प्रमुख खरीफ तिलहन, मूंगफली, की बुआई में करीब 1.36 प्रतिशत की नाममात्र वृद्धि ही हुई है। राज्य कृषि विभाग ने अपने नवीनतम आंकड़ों में यह जानकारी दी है। विभाग ने आगे बताया कि मध्य गुजरात, सौराष्ट्र और दक्षिणी गुजरात इस प्रमुख खरीफ तिलहन की बिजाई में आई गिरावट को छोड़कर राज्य के अन्य सभी प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में मूंगफली की बिजाई में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
अपने नवीनतम आंकड़ों में राज्य कृषि विभाग ने बताया है कि वर्तमान सीजन की अभी तक की अवधि में गुजरात में मूंगफली की कुल 15 लाख 84 हजार 300 हेक्टेयर में बिजाई होने का अनुमान है। एक वर्ष पूर्व की आलोच्य अवधि में राज्य में इस प्रमुख खरीफ तिलहन की 15 लाख 62 हजार 900 हेक्टेयर में बिजाई हुई थी। इससे पता चलता है कि पिछले सीजन की तुलना में इस बार अभी तक गुजरात में मूंगफली की बुआई में 21 हजार 400 हेक्टेयर या 1. 36 प्रतिशत की मामूली बढ़ोत्तरी ही हुई है।
सौराष्ट: गुजरात का सबसे बड़ा मूंगफली उत्पादक क्षेत्र है। अतः सबसे पहले इसी क्षेत्र की बात करते हैं। गुजरात कृषि विभाग के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार चालू सीजन की अभी तक की अवधि में सौराष्टर में मूंगफली की कुल 12 लाख 57 हजार हेक्टेयर में बिजाई हुई है। बीते सीजन की समीक्षागत अवधि में क्षेत्र में इसकी 12 लाख 73 हजार 300 हेक्टेयर में बिजाई हुई थी। स्पष्ट है कि पिछले सीजन की तुलना में इस बार अभी तक सौराष्टर में मूंगफली की बुआई में 16 हजार 300 हेक्टेयर या 1.28 प्रतिशत की कमी आई है।
मध्य गुजरात में भी मूंगफली की बिजाई घटी है। अपने नवीनतम आंकड़ों में राज्य कृषि विभाग ने कहा है कि मध्य गुजरात में इस बार अभी तक मूंगफली की कुल 6200 हेक्टेयर में बिजाई हुई है। गुजरे •सीजन की समानावधि में क्षेत्र में इसकी 7700 हेक्टेयर में बुआई हुई थी। इससे पता चलता है कि पिछले सीजन की तुलना में इस बार अभी तक मध्य गुजरात में मूंगफली की बुआई में 1500 हेक्टेयर या 19.48 प्रतिशत की गिरावट देखी जा रही है।
दक्षिणी गुजरात में इस प्रमुख खरीफ तिलहन की बिजाई में सबसे अधिक गिरावट आई है। राज्य कृषि विभाग ने अपने नवीनतम आंकड़ों में आगे बताया है कि दक्षिणी गुजरात में वर्तमान सीजन की अभी तक की अवधि में मूंगफली की केवल 1900 हेक्टेयर में बुआई हुई है। पिछले सीजन की समीक्षागत अवधि में क्षेत्र में इसकी 2900 हेक्टेयर में ही बिजाई हुई थी। इससे पता चलता है कि पिछले सीजन की अपेक्षा इस बार अभी तक दक्षिणी गुजरात में मूंगफली की बुआई में 1000 हेक्टेयर या 34.48 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है।
राज्य में मूंगफली की बुआई में सबसे अधिक उछाल कच्छ में आया है। गुजरात कृषि विभाग ने अपने नवीनतम आंकड़ों में बताया है कि वर्तमान सीजन की अभी तक की अवधि में कच्छ में मूंगफली की कुल 44 हजार 200 हेक्टेयर में बिजाई हुई है। एक वर्ष पूर्व की समानावधि में क्षेत्र में इसकी केवल 16,200 हेक्टेयर में बिजाई हुई थी। इससे पता चलता है कि गुजरे सीजन की तुलना में इस बार अभी तक कच्छ में मूंगफली की बुआई में 28 हजार हेक्टेयर या 172.83 प्रतिशत का भारी भरकम उछाल आया है।
इसके बाद उत्तरी गुजरात का नंबर आता है। राज्य कृषि विभाग के नवीनतम आंकड़ों पर यदि भरोसा किया जाए तो उत्तरी गुजरात में इस बार अभी तक मूंगफली की कुल दो लाख 74 हजार 900 हेक्टेयर में बिजाई हुई है। बीते सीजन की आलोच्य अवधि में क्षेत्र में इसकी दो लाख 62 हजार 800 हेक्टेयर में बिजाई हुई थी। स्पष्ट है कि पिछले सीजन की तुलना में इस बार अभी तक उत्तरी गुजरात में मूंगफली की बिजाई में 12 हजार 100 हेक्टेयर या 4.60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

सोयाबीन भाव

बढ़ी हुई कीमत पर सोयाबीन का उठाव घट गया। इसके परिणामस्वरूप जलगांव में सोयाबीन 50 रुपए मंदा होकर 5300 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर पर आ गया। बीते दिन इसमें इतनी ही तेजी आई थी। निवेशकों की लिवाली कमजोर पड़ने से शिकागो के सक्रिय तिमाही सोया तेल वायदा में 16 सेंट प्रति पौंड और केएलसीई के सक्रिय तिमाही पाम तेल वायदा में 38 रिंगिट प्रति टन की मंदी आने की सूचना मिली। इससे बाजार की धारणा प्रभावित हो सकती है। आगामी एक-दो दिनों में हाजिर में सोयाबीन में लंबी तेजी की संभावना नहीं दिख रही है।

ग्वार गम भाव में तेजी की हौड

गम पाउडर निर्माताओं की मांग कमजोर होने तथा बिकवाली बढ़ने से जोधपुर मंडी में ग्वार गम के भाव 100 रुपए घटकर 11500/11600 रुपए प्रति क्विंटल हो गए। सीमित बिकवाली से ग्वार के भाव 5650 / 5700 रूपये प्रति क्विंटल पर मजबूत रहे। सटोरिया लिवाली से एनसीडीईएक्स ग्वार गम वायदा जुलाई डिलीवरी में मामूली उतार चढ़ाव बना रहा। आने वाले दिनों में पड़ ग्वार गम में मंदे की संभावना नहीं है।

बिनौला खल भाव में जाने तेजी मंदी रिपोर्ट

आपूर्ति कमजोर होने से तथा पशु आहार वालों की मांग बाजार में बिनौला खल के भाव 2950/3100 रुपए प्रति क्विंटल पर मजबूत रहे। पंजाब की मंडियों में इसके भाव 3300/3400 रुपए प्रति कुंतल बोलें गए। बिनौला की कीमतों में मजबूती का रुख होने तथा आपूर्ति को देखते हुए आने वाले दिनों में इसमें घटने की संभावना कम है।

अरंडी तेल भाव में जाने रिपोर्ट

औद्योगिक मांग निकलने तथा आपूर्ति घटने के कारण अरंडी तेल के भाव 300 रूपये बढ़कर 13100/13200 रुपए प्रति क्विंटल हो गए। गुजरात की मंडियों में इसके भाव 12600 रुपए प्रति कुंतल बोले गए। वायदे में आई तेजी तथा वषो के कारण सप्लाई प्रभावित होने की आशंका के कारण राजस्थान की मंडियों में अरंडी के भाव 5700/5800 रूपये प्रति क्विंटल बोले गए। अरंडी में मजबूती का रुख होने तथा मांग को देखते हुए आने वाले दिनों में इसमें घटने की उम्मीद नहीं है।

सरसों भाव में भी हल्का उछाल

तेल मिलों की मांग निकलने तथा स्टाकिस्टो की बिकवाली घटने से लारेंस रोड पर सरसों के भाव 5400/5425 रुपए प्रति क्विंटल पर मजबूत रहे। नजफगढ़ में सरसों के भाव लूज 4900/5000 रुपए प्रति कुंटल बोले गए। आगरा में इसके भाव 6100 रुपए प्रति क्विंटल बोले गए। देश की विभिन्न मंडियों में सरसों की आवक 4.5 लाख बोरी के लगभग की रही। आने वाले समय में इसमें घटने की संभावना कम है।

Disclaimer:- किसान साथियों, व्यापर स्वविवेक से करे. व्यापर में हुई लाभ-हानि के लिये हमारा पोर्टल जिम्मेवार नही होगा. आपके लिए हम रोजाना राजस्थान की अनाज मंडियो का भाव, वायदा बाजार भाव, तेजी मंदी रिपोर्ट और Ncdex & Mcx की किसान उपयोगी सुचना सरल भाषा में बताते है, ताकि आपको उपयोगी जानकारी मिलती रहे. हमारे अन्य शोशल मिडिया प्लेटफार्म से जुड़े- फेसबुक पेज – राजस्थान अनाज मंडी भाव

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