इस समय देश में कई तरह की कृषि से संबंधित योजनाएं चलाई जाती है, जिसमें से कृषि यंत्रीकरण के लिए कई योजनाएं शामिल है कि, यदि में किसानों को सबसे ज्यादा जरूरत थी कृषि यंत्रों की होती है, जिसके माध्यम से आसानी से और सरल तरीके से खेती करके ज्यादा से ज्यादा मुनाफा प्राप्त कर सकें।
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फसल अवशेष प्रबन्धन योजना
कृषि यंत्रों का उपयोग करने से किसानों का उत्पादन भी बढ़ता है। इसके साथ ही ज्यादा प्रॉफिट होने के साथ-साथ कम लागत लगती है। इससे किसान अपने पैसे की बचत कर सकता है, यही वजह है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा किसानों को कृषि यंत्रों पर सब्सिडी प्रदान की जाती है। इस लिस्ट में कई राज्य सरकारें शामिल है जो कि, अपने किसानों को अलग-अलग तरह के कृषि यंत्र देती है और उस पर 50% से लेकर 80% तक सब्सिडी प्रदान करती है।
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उसी तरह से किसानों को सरकार द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत फसलों की प्रणाली के अवशेषों को प्रबंधित करने के लिए भी मशीन पर सब्सिडी प्रदान की जा रही है, ताकि बची हुई प्रणाली के अवशेषों को यंत्रों के माध्यम से प्रबंधित किया जा सके। सरकार की इस योजना से अब तक लाखों किसान लाभान्वित हो चुके हैं। बता दें कि, इस योजना की शुरुआत 2018 से शुरू हुई थी और इसका लाभ किसानों को मिलते हुए देखा जा सकता है। योजना के थे दो प्रकार से लाभ दिए जा रहे हैं, इस योजना के तहत कस्टम हायरिंग सेंटर द्वारा किसान लाभ ले सकते हैं। वहीं इस योजना का लाभ व्यक्तिगत रूप से भी किसानों को मिल रहा है।
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सरकार का मुख्य उद्देश्य इस योजना का यह है की हर जिले में धान के अवशेषों में जीरो बर्निंग का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए कस्टम हायरिंग सेंटर पर 80% व व्यक्तिगत श्रेणी में 50% तक सरकार द्वारा अनुदान दिया जा रहा है, जिससे कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जाएंगे।
इन किसानों को मिलेगा अनुदान –
- किसान का राज्य का स्थाई निवासी होना चाहिए।
- पिछले 4 वर्षों में किसान द्वारा व्यक्तिगत योजना का लाभ न लिया हो।
- कस्टमर हायरिंग सेंटर और आवेदित कृषि यंत्र पर पिछले 4 वर्षों में कोई लाभ नहीं लिया हो।

 
                         
                         
                         
                         
                         
				 
				
			 
				
			 
				
			