10वीं व 12वीं एग्जाम : साल में दो बार होगी परीक्षा 02 भाषाएं, सिलेबस भी होगा कम….

10वीं व 12वीं एग्जाम
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10वीं व 12वीं एग्जाम मैं बड़ा बदलाव होने जा रहा है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अनुसार साल में एक बार होने वाली बोर्ड  परीक्षाएं अब साल में दो बार होगी. इसमें जिन विद्यार्थियों के ज्यादा अंक आएंगे, खाली उनको ही गिना जाएगा.

इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर बैठक की गई. ऐसी केन्द्रीय शिक्षा मंत्री के अनुसार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत बोर्ड परीक्षाओं का ढांचा बनाया गया था.

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2024 के शिक्षा स्तर में किताबें भी उसके हिसाब से ही तैयार होगी इसका मकसद है कि बच्चों का टारगेट विषयों पर बना रहे. यह माना जा रहा है कि राज्य के बोर्ड इस बार निर्देश जारी कर सकते हैं.

फिलहाल नई शिक्षा नीति में दो बार बोर्ड परीक्षाएं कराने की सिफारिश केंद्र को भेज दी गई है. तमिलनाडु और केरल की सरकारों ने पहले ही इस नीति को लागू करने से इंकार कर दिया था.

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10वीं से 12वीं के विद्यार्थियों को पढ़नी होगी 2 भाषाएं

अब 10वीं से 12वीं के के स्टूडेंट को 2 भाषाएं पढ़नी होगी. एक भाषा भारतीय होनी चाहिए एवं दूसरी भाषा सुनने की विद्यार्थी को छूट दी जाएगी. विद्यार्थी की चुनी गई भाषा के आधार पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा.

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सिलेबस होगा कम किताबों की भी कीमत कम होगी

शिक्षा मंत्रालय के अनुसार 2020 के लिए किताबों में पूरी तरह से बदलाव किया जा रहा है. किताबों में भारी-भरकम नहीं रखा जाएगा. किताबों की कीमत बाजार में कम हो जाएगी. नया सिलेबस 2020 को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा.

स्कूल बोर्ड  कोर्स पूरा होने के बाद ऑन डिमांड परीक्षा कराने का मुख्य कारण कई महीनों तक बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी करने के मुकाबले उनकी और उनकी उपलब्धि का आकलन करना है.

साल में दो बार क्यों ?

दो बार एग्जाम को लेकर बहुत से तर्क दिए गए हैं इसके अनुसार बच्चे अपनी तैयारी का मूल्यांकन खुद कर सकेंगे.

उन्हें एक ही सब्जेक्ट को पूरे साल याद नहीं रखना पड़ेगा एवं नहीं किताबें विचार की जा रही है.

महीनों तक कोचिंग लेने वह याद करने समझने एवं योग्यता का मूल्यांकन करने की दस्ता भी बढ़ेगी और विषयों को समझने में व्यवहारिक ज्ञान में भी वृद्धि होगी.
इसको लागू करने के लिए 2020 में मिली थी मंजूरी

नई शिक्षा नीति को 29 जुलाई 2020 को मंजूरी मिली थी इसमें शिक्षा की नीति में समानता है गुणवत्ता जैसी कई बातों पर ध्यान रखा गया था. सरकार ने नई शिक्षा नीति पर केंद्र और राज्य के सहयोग से जीडीपी का 6% हिस्सा खर्च करने का टारगेट बना रखा है. न्यू एजुकेशन पॉलिसी आने से पहले 34 वर्ष यानी 1986 में जो शिक्षा नीति बनाई गई थी. 2020 के पहले ही उसमें बदलाव कर दिए गए थे. 

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