आज के समय भारत में कई तरह की किस्म का उत्पादन किया जाता है, जिसमें मूलबेरी, टसर, एरि, ओक टसर और मूंग रेशम शामिल है। रेशम की खेती करने में कीटों का पालन होता है और इन कीटों के लिए भोजन की व्यवस्था भी करनी होती है, जिसके लिए ज्यादा अधिक जगह की भी आवश्यकता नहीं होती है।
रेशम की खेती केसे करे?
यदि रेशम की खेती करना चाहते हैं तो, इसके लिए आपको दो एकड़ खेत में सबसे पहले रेशम के कीड़े के लिए शहतूत के पत्तियों की व्यवस्था करना होती है। इन पत्तियों पर ही रेशम के कीड़े अपना भोजन बनाते हैं, जिन्हें खाकर या रेशम का निर्माण करते हैं। किसान भाइयों को रेशम की खेती करने से पहले इसके बारे में प्रशिक्षण लेना आवश्यक होता है।
रेशम के कीड़े का पालन करने के बाद किसानों को शेट्टी के पौधों को लगाना होता है, वहीं इनको लगाने समय इनमे 6 इंच की दूरी रखनी चाहिए। शाहतुत के पौधों की कटिंग को चारों तरफ की मिट्टी को अच्छी तरह से दबा दे।
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उसके बाद इन पोधो में पर्याप्त पानी और इनमें खाद देना होता है। साथ ही इसमें किसी तरह की अन्य घास ना हो इसका भी ध्यान रखना होता है। साथ ही मानसून के दौरान लगाए गए पौधे में प्राकृतिक वर्ष के कारण सिंचाई की कम आवश्यकता होती है, वहीं वर्ष के सीजन में यदि 15 से 20 दिनों में बारिश नहीं होती है तो, इनके सिंचाई करना होती है।
रेशम निकालने की प्रक्रिया
इसके बाद रेशम के कीड़ों से रेशम निकालने की प्रक्रिया शुरू होती है, जिसके लिए किसानों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। जिसे सिल्क प्रोसेसिंग कहा जाता है। इस प्रक्रिया में रेशम के कीड़े से कोकून लेने के बाद कीड़े को गर्म पानी में डालकर नष्ट कर दिया है। इसके बाद कोकून का 20 डिग्री या इससे कम तापमान पर स्टोर किया जाता है। बाद में इससे धागा बनाकर कपड़ा और रेशम के उद्योगियों को बेच दिया जाता है।
आज भी रेशम कीट पालन कई गाँवों में काफी अधिक किया जाता है। वही रेशम की खेती से हर साल किस लाखों रुपए तक की आमदनी दे सकता है, रेशम के कपडे को कई अलग अलग देशो में बेचा जा सकता है।