छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिला मुख्यालय से 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत बड़ालूर की रहने वाली उषा कोर्राम बेहद गरीब परिवार से हैं. उनके परिवार में 9 सदस्य हैं. लखपति दीदी योजना से किसान उषा अब आर्थिक रूप से मजबूत हो गई हैं। आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी के पीछे का राज…
किसान उषा की चर्चा पुरे भारत में हो रहे है. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उषा का जिक्र किया. तभी से लोगों में उनके बारे में जानने की होड़ लग गई. एक सफल बिजनेसवुमन बनने से पहले उषा गांव में दूसरों के खेतों में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करती थीं।
उषा ने किया है इतिहास से ग्रेजुएट
उषा मद्जुर की बेटी है, दीदी का सफर जाने के लिए मिडिया की टीम उसके गाव गए तो दीदी बकरियों को चाराने जगल में गए हुए थे. जब उषा घर वापस लोटे तो उसके साथ बातचीत होने पर पता चला की उषा ने इतिहास से ग्रेजुएट किया है. प्रधानमंत्री ने लाल किले पर उसके और उसके परिवार की तारीफ की जिसके कारन उषा चर्चा में आ गयी है. प्रधानमंत्री में तरफी में कहा की मुझे उषा के परिवार पर गर्व है.
गरीब परिवार से है उषा
कोंडागांव जिला मुख्यालय से 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत बड़ालूर की उषा कोर्राम बेहद गरीब परिवार से हैं। उनके परिवार में कुल 9 सदस्य हैं. खेती की जमीन कम होने और रोजगार न होने के कारण पूरा परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। लखपति दीदी योजना की मदद से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ। अब उनकी पहचान लखपति दीदी के रूप में होने लगी है.
उषा ने अपनी आय कैसे बढ़ाई?
पूरे घर की जिम्मेदारी उषा के कंधों पर थी. इस जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए वह दूसरों के खेतों में काम करती थीं। अब उषा की जिंदगी में बदलाव आ गया है. वह सब्जियों की खेती कर रही हैं. बाजार में रोजाना हजारों रुपये से अधिक की सब्जियां बिक रही हैं. वे सब्जी उत्पादन के साथ-साथ महुआ, साल, इमली, तौरा का संग्रहण और विक्रय भी कर रही हैं। इससे उन्हें 10 से 12 हजार रुपये की अतिरिक्त आमदनी भी हो रही है.
अन्य महिलाओ के लिए मिसाल है उषा
उषा कोर्राम अब गांव की अन्य महिलाएं भी प्रेरणा ले रही हैं। उन्नत तकनीक से खेती करने के लिए गांव की 50 लड़कियां उनसे खेती के गुण सीख रही हैं। प्राकृतिक संसाधनों से जैविक खेती करने में माहिर उषा उन किसानों में से एक हैं जो जैविक खेती करके अधिकतम उत्पादन प्राप्त करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उषा का नाम लेने के बाद लड़कियों में काफी उत्साह है. नक्सल प्रभावित मर्दापाल स्थित उषा के घर में भी लोगों की आवाजाही बढ़ गई है.